
रीठी। कटनी जिला स्थित विकासखण्ड रीठी के ग्राम जमुनिया में चल रही श्रीराम श्रीराम कथा का विश्राम दिवस के साथ समापन हुआ। कथा व्यास श्री श्री 108 श्री शीतल संत मुरारीदास जी महाराज ने अंतिम दिन की कथा में सीता हरण, लंका दहन, राम-रावण युद्ध, विभीषण का राज्याभिषेक सहित राजा राम के राज तिलक प्रसंग का भावपूर्ण वर्णन किया।
महाराज श्री ने कहा कि रामायण हमें जीने के तरीके सिखाती है। कथा व्यास ने श्रीराम कथा का वर्णन करते हुए कहा कि दूसरों की सम्पत्ति चाहे कितनी भी मूल्यवान हो उस पर हमारा कोई अधिकार नहीं है। चौदह वर्ष वनवास पूर्ण करने के बाद भगवान श्रीराम जब वापस अयोध्या पहुंचे तो अयोध्यावासी खुशियों से झूम उठे। रामायण हमें आदर, सेवा भाव, त्याग व बलिदान के साथ दूसरों की सम्पत्ति पर हमारा कोई अधिकार नहीं है, ऐसा सिखाती है। उन्होंने बताया कि जिस प्रकार भगवान श्रीराम ने दीन-दुखियों, वनवासियों आदिवासियों के कष्ट दूर करते हुए, उन्हें संगठित करने का कार्य किया एवं उस संगठित शक्ति के द्वारा ही समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर किया। हर राम भक्त का दायित्व है कि पुनीत कार्य में अपना सहयोग प्रदान करें। यह राम कार्य है। श्रीराम के राज्याभिषेक का वर्णन किया और बताया कि बुराई और असत्य ज्यादा समय तक नहीं चलता।
अन्तत: अच्छाई और सत्य की जय होती है। अधर्म पर धर्म की जीत हमेशा होती आई है। श्रीराम के राज्याभिषेक के प्रसंग के दौरान पूरे पंडाल में पुष्पों की वर्षा भक्तों द्वारा की गई। समापन अवसर पर रीठी जनपद सरपंच संघ के अध्यक्ष श्री नरेश राय, अनिल राय, अरुण (लल्ला) राय, उत्तम राय, गुलाब सिंह, पूर्व जनपद सदस्य श्रीरामसुजान विश्वकर्मा, गोवर्धन रजक, नवांकुर संस्था के अध्यक्ष श्री उमेश त्रिपाठी, श्री प्रमोद राय, श्री दीपू राय, ज्ञानचंद यादव, शरद यादव, राकेश यादव, अनिल विश्वकर्मा सहित सैंकड़ो श्रोताओं की उपस्थिति रही।